1. खेत में बदलावों की पहचान करना
- ग्रिड मृदा नमूनाकरण: अपने जमीन के भूखंड को काल्पनिक व्यवस्थित ग्रिड में विभाजित करे; प्रत्येक ग्रिड से मिट्टी के नमूने एकत्र करें और उनका परीक्षण करें। यह आपको यह तय करने में मदद करेगा कि कौन सी फसलें को उगाये और प्रत्येक ग्रिड के लिए विशिष्ट खाद और पानी की आवश्यकताओं का नक्शा (सॉइल सर्वे मैप) विकसित करने में मदद करेगा।
- यील्ड (उपज) मैप: अपने द्वारा देखे गए उपज पैटर्न के अनुसार अपनी भूखंड की जमीन को काल्पनिक व्यवस्थित ग्रिड में विभाजित कीजिये। उच्चतम और निम्नतम उपज वाले वर्गों की पहचान करें। उपरोक्त नमूनों से मिट्टी के परीक्षण के परिणाम के साथ-साथ आपको उच्च पैदावार के लिए लागू किए जाने वाले इष्टतम इनपुट (खाद, पानी आदि) की गणना करने में मदद मिलेगी।
- फसल की देख-भाल: आपको मौसम की फसलों की नियमित निगरानी करने की जरूरत है और बढ़ते मौसम के दौरान कीट संक्रमण का पता लगाना चाहिए। यह आपको कीटों की प्रकृति, विकास दर, संक्रमित फसलों की मात्रा की पहचान करने में मदद करता है। इससे आपको सही नियंत्रण के उपाय अपनाने में मदद मिलेगी।
2. फार्म प्लॉट में बदलाव का प्रबंधन
- परिवर्तनीय दर आवेदन: यह विधि आपके खेत भूखंड के उपयुक्त वर्गों में आदानों (इनपुट्स) की भिन्न दरों को लागू करने में मदद करती है। यह आदानों (उर्वरक, पानी, जैव-नियंत्रण एजेंटों) के आवेदन में आपकी दक्षता में सुधार करेगा, और लागत को कम करेगा। उदाहरण के लिए, आप मिट्टी के नम पैच में कम पानी लगा सकते हैं।
- यील्ड (उपज) मॉनिटरिंग (निगरानी): मिट्टी, परिदृश्य और पर्यावरण पैटर्न के साथ उपज पैटर्न का मानचित्रण करने से आपको यह निर्धारित करने में मदद मिलेगी कि इनपुट्स (उर्वरक, पानी, जैव-नियंत्रण एजेंट) के प्रबंधन, और अपनाई गई तकनीक सही हैं या किसी बदलाव की आवश्यकता है।